शिकायत

Published by Pious Mantra on

ये शिकायत भी अजी हाँ खूब होती है,
क्या अदा है कि हर दिल अजीज होती है।

वो किस्सा किस्सा ही क्या,। जिसमेंं, सिर्फ अपनी ही बात हो।
मजा तो तब आता जब किसी की शिकायत का साथ हो।

उमंग भर जाती दिल में ताजगी आ जाती है,
बात गैरों की हो तो नींद उड़ जाती है।

जिन्होंने संभाली है शिकायत की कमान,
उन्हे रहता नहीं अपना कुछ भी ध्यान।
रहें भले वो अपने घर में , पर पड़ोस में ही बसते उनके कान।

किसी की बेटी हो कुंवारी या बेटे में हो कुछ खराबी,
पता अपनो को हो ना हो,
फिकर से पडोसियो की उम्र
हो जाती है आधी।

सच के पैमाने टूटते हैं, झूठ के पर निकलते है,
सजी हो जब महफ़िल शिकायत की तो गूंगों के भी बोल निकलते हैं ।

यूं तो महिलाएँ का पुराना ये क्षेत्र रहा है ,
मगर अब पुरुषों में भी शौक ये बढ़ने लगा है ।

कुछ भी हो समाज में इसने एक नया मोड़ दिया है,
सेतु बनकर आदमी को आदमी से जोड़ दिया है।
जिंदा रहे ये शिकायत और
सलामत रहे हमारी पारखी नजर,
ताकी लेते रहे हमलोग एक दूसरे का खोज औे खबर।


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