विवाह पंचमी

पुराणों व रामायण ग्रंथ के अनुसार मार्गशीर्ष माह की शुक्लपक्ष की पंचमी का भगवान श्री राम और माता सीता का स्वयंवर हुआ था। जिसके कारण आज लोग अपने वैवाहिक जीवन में हो रही अनेक बाधाओ को दूर करने के लिए तथा मनचाहा वर व वधु पाने के लिए विवाह पंचमी का व्रत रखते है। ताकी उनकी वैवाहिक जीवन में सुख प्राप्त हो सके। इस पंचमी का पर्व खासतौर पर नेपाल अयोध्या और बिहार के आदि जगहो पर धूम-धाम से मनाया जाता है।
पाैराणिक मान्यताओ के अनुसार इस दिन जो कोई स्त्री व पुरूष रामचरितमानस का पाठ करता है उसके जीवन में सदैव भगवान राम की कृपा दृष्टि बनी रहती है। और वह इस जीवन में सुख वैभव की जिदंगी जीकर भगवान राम के चरण कमलो में स्थान प्राप्त करता है।
विवाह पंचमी कब है-
हिन्दी पंचाग के अनुसार विवाह पंचमी प्रतिवर्ष मार्गशीर्ष के महीने की शुक्लपक्ष की पंचमी को मनाई जाती है तथा पंचाग के अनुसार इस वर्ष विवाह पंचमी पर्व 28 नवंबर 2022 सोमवार के दिन पड़ रही है।
विवाह पंचमी शुभ मुहूर्त-
विवाह पंचमी आरंभ:- 27 नवंबर 2022 को शाम 04:24 मिनट पर
विवाह पंचमी समाप्त:- 28 नवंबर 2022 को दोपहर 01:35 मिनट पर
विवाह पंचमी पर्व:- 28 नवंबर 2022 सोमवार को
विवाह पंचमी व्रत पूजा विधि जाने
विवाह पंचमी वाले दिन व्यक्ति को प्रात: जल्दी उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर साफ वस्त्र धारण करे। तथा सूर्य भगवान को जल चढ़ाकर पीपल व तुलसी के पेड़ में पानी चढ़ाऐ।
जिसके बाद भगवान राम व माता सीता की वंदना करे
अब इसके बाद घर में किसी स्थान पर गंगाजल छिड़कर उसे शुद्ध करे तथा एक चौकी बिछाकर उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछा देना है।
इस चौकी पर भगवान राम की व माता सीता की मूर्ति को स्थापित करे, जिसके बाद भगवान राम को पीले रंग के वस्त्र तथा माता जनक नंदनी को लाल रंग के वस्त्र अर्पित करे।
एक तरफ घी का दीपक जलाकर दोनो मूर्तियो को तिलक करेके विधिवत रूप से पूजा करे। पूजा मेें पुष्प, रोली, मौली, चावल, चंदन, फल, नैवेद्य, अक्षत आदि चढ़ाकर पूजा करे।
ध्यान रहे पूजा करते समय रामायण में बालकाण्ड में दिया हुआ विवाह प्रंसग का पाठन करे अर्थात विवाह प्रसंग को पढ़े। जिसके बाद रामचरितमानस का पाठ करे तथा परिवार के सदस्यों को सुनाए।
इसके बाद विवाह पंचमी का व्रत रखने वाले स्त्री व पुरूष कथा सुने जिसके बाद भगवान राम और माता सीता जी की आरती करे।
आरती करने के बाद दोनो का भोग अर्पित करे और अपने दोनो हाथ जोड़कर अपनी मनोकामना को पूर्ण करने का वरदान मांगे।
पं० संदीप जी ।
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