आदित्य ह्रदय स्तोत्र, Aaditya Hrudaya strotra

( आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करने से पहले एक बार निम्नलिखित विनियोग और न्यास आदि का पाठ किया जाए तो अच्छा रहता है लेकिन इसे करना अति आवश्यक नहीं है । ) विनियोग ॐ अस्य आदित्य हृदयस्तोत्रस्यागस्त्यऋषिरनुष्टुपछन्दः, आदित्येहृदयभूतो भगवान ब्रह्मा देवता निरस्ताशेषविघ्नतया ब्रह्मविद्यासिद्धौ सर्वत्र जयसिद्धौ च विनियोगः। ऋष्यादिन्यास ॐ Read more…

Narmada Ashtakam; नर्मदा अष्टकम्

नर्मदाष्टकम् सबिन्दुसिन्धुसुस्खलत्तरंगभंगरञ्जितम्द्विषत्सु पापजातजातकारिवारिसंयुतं ।कृतान्तदूतकालभूतभीतिहारिवर्मदेत्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे ॥ १॥ त्वदंबुलीनदीनमीनदिव्यसंप्रदायकंकलौमलौघभारहारिसर्वतीर्थनायकम्।सुमच्छकच्छनक्रचक्रवाकचक्रशर्मदेत्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे ॥२॥ महागभीरनीरपूरपातधूतभूतलंध्वनत्समस्तपातकारिदारितापदाचलम्।जगल्लये महाभये मृकण्डुसूनुहर्म्यदेत्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे ॥३॥ गतं तदैव मे भयं त्वदंबु वीक्षितं यदामृकण्डुसूनुशौनकासुरारिसेवितं सदा ।पुनर्भवाब्धिजन्मजं भवाब्धिदुःखवर्मदेत्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे ॥४॥ अलक्ष्यलक्षकिन्नरामरासुरादिपूजितंसुलक्षनीरतीरधीरपक्षिलक्षकूजितम्।वसिष्ठशिष्टपिप्पलादिकर्दमादि शर्मदेत्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे ॥५॥ सनत्कुमारनाचिकेतकश्यपात्रिषट्पदैर्धृतं स्वकीयमानसेषु नारदादिषट्पदैः।रवीन्दुरन्तिदेवदेवराजकर्मशर्मदेत्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे ॥६॥ अलक्षलक्षलक्षपापलक्षसारसायुधंततस्तु जीवजन्तुतन्तुभुक्तिमुक्तिदायकं।विरिञ्चिविष्णुशंकरस्वकीयधामवर्मदेत्वदीयपादपङ्कजं Read more…

श्री गुरु स्तोत्रम् ; Shree Guru Strotram

=============श्री गुरु स्तोत्रम् ============= || श्री महादेव्युवाच || गुरुर्मन्त्रस्य देवस्य धर्मस्य तस्य एव वा | विशेषस्तु महादेव ! तद् वदस्व दयानिधे || श्री गुरु स्तोत्रम् श्री महादेवी (पार्वती) ने कहा : हे दयानिधि शंभु ! गुरुमंत्र के देवता अर्थात् श्री गुरुदेव एवं उनका आचारादि धर्म क्या है – इस बारे Read more…

॥दारिद्र्य दहन शिवस्तोत्रं॥

॥दारिद्र्य दहन शिवस्तोत्रं॥विश्वेश्वराय नरकार्णव तारणाय कणामृताय शशिशेखरधारणाय।कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधराय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय॥१॥गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय।गंगाधराय गजराजविमर्दनाय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय॥२॥भक्तिप्रियाय भवरोगभयापहाय उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय।ज्योतिर्मयाय गुणनामसुनृत्यकाय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय॥३॥चर्मम्बराय शवभस्मविलेपनाय भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय।मंझीरपादयुगलाय जटाधराय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय॥४॥पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय हेमांशुकाय भुवनत्रयमण्डिताय।आनन्दभूमिवरदाय तमोमयाय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय॥५॥भानुप्रियाय भवसागरतारणाय कालान्तकाय कमलासनपूजिताय।नेत्रत्रयाय शुभलक्षण लक्षिताय दारिद्र्य Read more…

“माँ काली – स्तुति” Maa Kali Stuti

चार बाहों वाली, जय माँ काली । शव पर सवारशमशान वासिनी भयंकराविकराल दन्तावली,त्रिनेत्राहाथ में लिये खडगऔर कटा सिरदिगम्बराअट्टहास करती माँ कालीजय माँ कालीमुक्तकेशी लपलपाती जिहवा वालीदे रही अभय वरदान हमेशाचार बाहों वालीजय माँ कालीआओ करें हम ध्यान उनकासृजन करनेवालीसब कुछ देनेवालीमाँ कालीजय माँ काली

श्री गुरु पादुका स्तोत्रम्-१ Shri Guru Paduka Stotram -1

ॐ नमो गुरुभ्यो गुरुपादुकाभ्यो नमः परेभ्यः परपादुकाभ्यः!आचार्य सिद्धेश्वरपादुकाभ्योनमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्यो!!1!! मैं पूज्य गुरुदेव को प्रणाम करता हूँ, मेरी उच्चतम भक्ति गुरु चरणों और उनकी पादुका केप्रति हैं, क्योंकि गंगा-यमुना आदि समस्त नदियाँ और संसार के समस्त तीर्थ उनके चरणों में समाहित हैं, यह पादुकाएं ऐसे चरणों से आप्लावित रहती हैं, Read more…

माँ षोडशी त्रिपुर सुन्दरी स्तुति

माँ षोडशीपंचप्रेत महाशव सिंहासनउस पर खिले कमल दललाल रंग की दीप्तिमानचतुरहस्ता त्रिलोचनामस्तक पर राजे चंद्रमारत्न आभूषण धारिणीबाला, त्रिपुरसुन्दरी, ललितामाँ षोडशीहाथों से देती अभय मुद्रा, वर मुद्राधारण किये पुस्तक और अक्षमालापाश, अंकुश, वाण ,धनुषधारण करनेवाली माँ ललितायोग-भोग एक साथ दिलानेवालीकामेश्वरी, वज्रेशवरी, भग़ मालिनी, ललिताम्बिकामाँ षोडशीबरबस आकर्षित करनेवालीहर काम को पूरा करनेवालीसदा Read more…

“श्री महाकाल स्तोत्रं”

” महाकाल स्तोत्र ” को स्वयं भगवान शिव ने भैरवी को बताया था । इसमें महाकाल के विभिन्न स्वरूपों की स्तुति की गई है । धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान महाकाल का ये स्तोत्र पाठ जीवन में नई ऊर्जा शक्ति का संचार करता है । चाहे आप जिस क्षेत्र में Read more…

गंगा स्तुति – कवि विद्यापति Ganga Stuti – Kavi Vidyapati

मैथिल कोकिल, सुप्रसिद्ध रससिद्ध कवि विद्यापति की गंगा-स्तुति । बड़ सुख सार पाओल तुअ तीरे|छोड़इत निकट नयन बह नीरे|| कर जोरि विनमओं विमल तरंगे|पुन दरसन होए पुन मति गंगे|| एक अपराध छेमब मोर जानी|परसल पाय पारू तुअ पानी|| कि करब जप-तप जोग ध्येआने|जनम कृतारथ एकहि सनाने|| भनई विद्यापति समदओं तोही|अन्त Read more…

गंगा स्तुति

गंगा स्तुति II जय जय भगीरथनन्दिनि, मुनि – चय चकोर – चन्दिनि, नर – नाग – बिबुध – बन्दिनि जय जह्नु बालिका ।बिस्नु – पद – सरोजजासि, ईस – सीसपर बिभासि, त्रिपथगासि, पुन्यरासि, पाप – छालिका ॥१॥ बिमल बिपुल बहसि बारि, सीतल त्रयताप – हारि, भँवर बर बिभंगतर तरंग – Read more…